कुशीनगर
पशुपालक भाई टोल फ्री न० 1800-180-1962 के माध्यम से पशु संबंधी आकास्मिक सेवाओं का ले सकते है लाभ
मुख्य पशुचिकित्साधिकारी ने अवगत कराया है कि जनपद कुशीनगर में माह अप्रैल, मई व जून में गर्म हवायें एवं लू का प्रकोप हो जाता है, जिससे तापमान काफी बढ़ जाता है। ऐसी अवस्था में लू , हीटस्ट्रोक व हीटवेव के कुप्रभाव से बचने हेतु जनपद कुशीनगर के पशुपालकों को पशुओं में उचित प्रबन्धन करना अति आवश्यक हो जाता है। गर्म हवाओं व लू के कुप्रभाव से पशुओं का दुग्ध उत्पादन गिर जाता है तथा इसके साथ ही उचित देख-रेख एवं प्रबन्धन सही ना होने से पशुओं में रोग प्रभावित होने की सम्भावना अत्यधिक हो जाती है एवं मृत्य भी हो सकती है। साथ ही अत्यधिक तापमान में वृद्धि होने से भीषण अग्निकाण्ड व आगजनी की सम्भावना भी बढ़ जाती है। ऐसी अवस्था में पशु असमय कालकलवित हो जाते है, उक्त के दृष्टिगत पशुपालकों को पशुओं को छाया में रखने, शेड में टाट, बोरा, त्रिपाल से ढक के रखने हेतु जागरूक किया जा रहा है। इस मौसम में एम०पी० चरी ज्वार, में हाइड्रोसाइनिक एसिड की विषाक्ता की वजह से पशुओं की आसमयिक मृत्य भी हो जाती है। लू व हीटवेव से बढ़ी संख्या में पशुधन प्रभावित होते है, जिससे पशुपालकों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है।उक्त के दृष्टिगत जनपद स्तर पर डा० विद्याराम वर्मा, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, पडरौना को जनपदीय नोडल अधिकारी नामित किया गया है. जिनका मो०नं० 9450556594 है। लू प्रकोप आपदा नियंत्रण हेतु पशुचिकित्सालय सदर पर एक आपदा नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. जिसके प्रभारी अशोक प्रसाद, वेटनरी फार्मासिस्ट, पशुचिकित्सालय सदर पडरौना, मो0नं0-9140236432, टेली फो० नं0-05564-242008 को नामित किया गया है। उक्त के सम्बन्ध में समस्त पशुचिकित्सालयों से आपदाओं से सम्बन्धित दैनिक साप्ताहिक/मासिक सूचनायें नियमित रूप से उपलब्ध करायी जायेगी। आकास्मिक पशुचिकित्सा सेवायें एवं लू हीटवेव आपदा में त्वरित पशुओं के उपचार हेतु जनपद कुशीनगर में M.V.U (मोबाईल वेटनरी यूनिट 1962 संचालित है। पशुपालक M.V.U मोबाईल वेटनरी यूनिट) 1962 व टोल फ्री न० 1800-180-1962 पर दूरभाष के माध्यम से आकास्मिक सेवाओं का लाभ ले सकते है। लू व हीटस्ट्रोक से प्रभावित पशु को सामान्य होने तक चिकित्सा जारी रहेगी। पशु के मृत्यु होने पर पशुपालक द्वारा दी गयी सूचना पर पशुपालन विभाग के कर्मियों व राजस्व विभाग के कर्मियों के सहयोग से सूचनाये व मृत्यु प्रमाण-पत्र जिला प्रशासन को भेजी जायेगी। जिससे पशु स्वामी को पशुहानि की क्षतिपूर्ति किया जाना सम्भव हो सकें।