
विलेज फास्ट टाइम्स | कुशीनगर
कुशीनगर के विकास को लेकर राज्यसभा में जोरदार बहस देखने को मिली, जब राज्यसभा सांसद कुंवर आरपीएन सिंह ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत केले को एक्सपोर्ट हब बनाने की मांग को पूरी ताकत से सदन में उठाया। सांसद ने सरकार से सीधा सवाल किया—“जब कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट तैयार है, ODOP में केला चयनित है, किसान भी तैयार हैं… तो एक्सपोर्ट हब अभी तक क्यों नहीं बना?”
उनके इस कड़े सवाल पर वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने पहली बार सदन में स्वीकार किया कि कुशीनगर में कॉमन फैसेलिटी सेंटर (CFC) की स्थापना के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है और कप्तानगंज तहसील क्षेत्र में लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये की जमीन का अधिग्रहण भी पूरा हो चुका है।
आरपीएन सिंह ने सरकार से यह भी पूछा कि मार्च में कैट-1 ग्रेड मिलने के बाद कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने जा रही हैं, ऐसे में कुशीनगर का केला दुनिया भर में भेजने का सुनहरा मौका सामने है, लेकिन एक्सपोर्ट हब नहीं बनने से किसान सिर्फ वादों पर टकटकी लगाए बैठे हैं।
जवाब में मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि कुशीनगर बौद्ध आस्था का केंद्र है और प्रधानमंत्री की विशेष निगाह यहां है। उन्होंने बताया कि CFC में टिशू कल्चर यूनिट और केला ड्राइंग प्लांट लगाए जाएंगे, जो किसानों की आय में भारी बढ़ोतरी कर सकते हैं।
दूसरे पूरक प्रश्न में आरपीएन सिंह ने तीखा सवाल फेंका—“क्या यह एक्सपोर्ट हब एक साल के भीतर शुरू होगा या फिर यह भी फाइलों में धूल खाता रहेगा?”
मंत्री के उत्तर में यह स्वीकार किया गया कि—
जमीन खरीद ली गई है
गांव में बिजली व्यवस्था स्थापित कर दी गई है
बजट प्रस्ताव तैयार है
और “डबल इंजन सरकार” होने के कारण वित्तीय स्वीकृति जल्द मिल जाएगी
सरकार ने दावा किया कि इस CFC से करीब 4,000 लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्माण कार्य जल्द शुरू हो जाएगा।
लेकिन सवाल बड़ा है—कुशीनगर ने अपनी जिम्मेदारी निभा दी है, अब सरकार कितनी तेजी दिखाती है? किसान और उद्योग जगत अब सिर्फ तारीख का इंतज़ार कर रहा है।
