
विलेज फास्ट टाइम्स, कुशीनगर
12 दिसम्बर 2025
“गन्ना खड़ा-खड़ा रो रहा है, और मिल सो रही है!” — खेतों से उठी किसानों की करारी पुकार
कुशीनगर में गन्ना किसानों का गुस्सा आज चरम पर फूट पड़ा। जे.एच.वी. शुगर मिल, गड़ौरा की लगातार सुस्ती, देर से पेराई शुरू करना, 9 क्रय केंद्रों पर नगण्य इंडेंट भेजना और खरीद को लेकर बेलगाम अव्यवस्था—इन सबने जिले में खेती की कमर ही तोड़ दी है। किसान कह रहे हैं कि मिल का हाल ऐसा है जैसे किसानों की समस्याओं पर पत्थर की सुनवाई चल रही हो।
परिणाम—
गन्ना खेतों में खड़ा बर्बादी झेल रहा है, और दूसरी तरफ गेहूं की बुवाई दिन–प्रतिदिन पिछड़ रही है। किसानों का कहना है कि मिल के इस रवैये ने पूरे कृषि चक्र को संकट में डाल दिया है।
भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि आज जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर के दरवाजे पहुंचे और उन्होंने मिल पर कड़े आरोपों और कड़क शब्दों में अपनी शिकायत रखी। प्रतिनिधियों ने कहा—
“जब पुरानी मिलें इन केंद्रों को समय पर चलाती थीं, तो गड़ौरा मिल क्यों किसान का समय और मेहनत दोनों छील रही है?”
किसानों ने साफ मांग रखी कि यदि गड़ौरा मिल सुधर नहीं सकती, तो उसके क्रय केंद्र वापस उन्हीं सक्षम मिलों को दिए जाएं।
जिलाधिकारी ने मामले को हल्के में नहीं लिया। उन्होंने तुरंत शुगर मिल अध्यासी पर नोटिस की गाज गिरा दी। नोटिस में कठोर आदेश दिए गए—
सभी 9 क्रय केंद्रों पर तुरंत और पर्याप्त इंडेंट भेजा जाए।
खरीद व्यवस्था में तेजी और पारदर्शिता लाई जाए।
किसानों की गेहूं बुवाई किसी भी तरह बाधित नहीं होनी चाहिए।
जिलाधिकारी ने अंतिम चेतावनी भी जारी कर दी—
“यदि मिल ने सुधार नहीं दिखाया, तो क्रय केंद्र दूसरी मिलों को सौंपने की संस्तुति गन्ना आयुक्त को भेज दी जाएगी।”
जिले के गांव-खेेतों में प्रशासन की इस कार्रवाई को किसानों ने राहत की सांस के रूप में देखा है। पर अब सबकी नज़रें गड़ौरा मिल पर टिकी हैं—
क्या मिल अपनी नींद से जागेगी, या प्रशासन अगला, और बड़ा फैसला सुनाएगा?
