

गंगा कनोडिया इंटर कालेज कप्तानगंज के शिक्षको द्वारा बिना कार्य किये लाखो रुपये एरियर लेने का मामला
कुशीनगर। मुख्यमंत्री जी ! जनपद के कप्तानगंज स्थित गंगा कनोडिया इंटर कालेज के शिक्षक देवेन्द्र पाण्डेय, वीरेंद्र पाण्डेय और श्याम नरायण ने दो वर्ष बिना कार्य किये ही सरकारी खजाने के लाखो-लाख रुपये गटक गये है। यकीन न हो तो तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक यूपी मिश्रा की रिपोर्ट और विद्यालय का मूल उपस्थिति पंजिका की जांच करा लिजिए, दूध का दूध पानी का पानी सामने आ जायेगा। इतना ही नही इन शिक्षको ने तो तथ्य गोपन कर वर्ष 2018 मे अपना विनियमितकरण भी करा लिया है जबकि जुलाई 2012 से मार्च -2014 तक (जब इनके द्वारा विद्यालय मे अध्यापन कार्य नही किया गया) का भुगतान वर्ष 2025 मे फर्जी तरीके से तथ्यों को छुपाकर प्राप्त किया गया है। बात यही खत्म नही होती है जांच में देवेन्द्र पाण्डेय की डिग्री फर्जी पाये जाने के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय पाण्डेय द्वारा इनकी की गयी सेवा समाप्ति के बावजूद न्यायालय व उच्चाधिकारियों को गुमराह करके यह नौकरी मे बने हुए है जिसकी एसटीएफ से जांच करा दी जाए तो सबकी पोल खुल जायेगी।

बतादे कि वर्ष 1999 में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक कुशीनगर ने जनपद मे बिना पद के शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के नियुक्ति की शिकायत मिलने पर वेतन भुगतान रोक दिया था। इससे क्षुब्ध होकर कप्तानगंज इंटर कॉलेज के इन शिक्षको ने उच्च न्यायालय मे विभिन्न याचिकाए योजित की जो आगे चलकर एक याचिका 39088/2007 के साथ सम्बद्ध होकर आदेश पारित हुआ। आदेश में कहा गया कि जो शासनादेश के अन्तर्गत आने वाले शिक्षक नियमित रूप से कार्य कर रहे है उनसे कार्य कराते हुए शानादेश में शामिल शिक्षकों के बकाया वेतन का भुगतान इस सत्यापन के साथ किया जाए कि वह विद्यालय में नियमित रुप से अध्यापन कर रहे हैं। सूत्रो की माने तो न्यायालय के इस आदेश के बाद इन शिक्षको ने कूटरचित का खेल शुरू किया और विद्यालय के प्रबंधक व प्रधानाचार्य को किसी तरह से प्रलोभन देकर विद्यालय के मूल उपस्थिति रजिस्टर पर बीते दो वर्षो का नाम अंकित कराकर हस्ताक्षर बनाने का प्रयास किया किन्तु विद्यालय के प्रबंधक और प्रधानाचार्य सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय, वीरेंद्र पाण्डेय व श्याम नरायण के प्रभाव व प्रलोभन मे नही आये। सूत्रो ने बताया कि इसके बाद इन शिक्षको ने कूटरचित तरीके से एक उपस्थिति पंजिका तैयार कर दो वर्ष के अपने अनुपस्थित कार्यकाल को एक ही दिन में नियमित कर दिया, जबकि श्याम नरायण पाण्डेय व वीरेंद्र पाण्डेय का कहना है कि मूल उपस्थिति पंजिका का उनका हस्ताक्षर है और न्यायालय ने इसी आधार पर उनका भुगतान करने का आदेश पारित किया। सच्चाई क्या है यह तो मूल उपस्थिति पंजिका के जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।
काम नही तो दाम नही ‘ के आधार पर निदेशक ने किया खारिज
बताया जाता है कि न्यायालय के आदेश के बाद शिक्षा निदेशक माध्यमिक डाॅ. महेन्द्र देव ने तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक उदय प्रकाश मिश्र से इन सभी शिक्षकों के नियमित उपस्थिति का सत्यापन करने का आदेश दिया जिसके अनुपालन मे तत्कालीन डीआईओएस ने शिक्षा निदेशक को अपनी रिपोर्ट भेजी। शिक्षा निदेशक ने अपने आदेश मे स्पष्ट लिखा है कि जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा उपलब्ध कराये गये आख्या /अभिलेखों के अनुसार संस्था के उपस्थिति पंजिका मे जुलाई – 2012 से मार्च 2014 तक इन शिक्षको का हस्ताक्षर अंकित नही पाया गया जिसके कारण नियमित उपस्थिति की पुष्टि नही हो रही है इस लिए शिक्षको के प्रमाणित उपस्थिति न होने के कारण ” नो वर्क नो पे ” के सिद्धांत पर अवशेष भुगतान किया जाना नियम संगत नही है।
प्रबंधक-प्रधानाचार्य को मिलाकर किया तथ्यगोपन
सूत्र बताते है कि शिक्षा निदेशक द्वारा इन शिक्षको के नो वर्क नो पे के आधार पर भुगतान नही किये जाने के आदेश के बाद इन शिक्षको ने विद्यालय के प्रबंधक और प्रधानाचार्य को मोटी कमीशन देकर नियमित उपस्थिति का रिपोर्ट अपने पक्ष मे लगवा लिया जो पहले इन शिक्षको के नियमित उपस्थिति के विरुद्ध अपनी आख्या तत्कालीन डीआईओएस उदय नरायण मिश्र को दिये थे। सूत्रो का दावा है कि इन शिक्षको का आज भी मूल उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर नही है। निष्पक्ष जांच हो जाये तो इन शिक्षको की नियमित उपस्थिति की पोल खुल जायेगी। कहना न होगा कि तथ्य गोपन कर सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय ने 899907 रुपये, वीरेंद्र पाण्डेय 910407 रुपयें व श्याम नरायण पाण्डेय ने 899907 रुपये जुलाई – 2012 से मार्च – 2014 तक विद्यालय मे बिना अध्यापन कार्य किये (जिनकी मूल उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर नही है ऐसा विश्वस्त सूत्रों का दावा है) वर्ष 2025 में उक्त धनराशि एरियर के रूप मे प्राप्त कर चुके है।

जांच में पाया गया था देवेन्द्र का फर्जी डिग्री
कहना ना होगा कि बीते दिनो विलेज फास्ट टाइम्स ने बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षक की सेवा समाप्ति के बाद तथ्य गोपन करके नौकरी कर रहे शिक्षक का मामला उठाया था, वह शिक्षक कोई और नही देवेन्द्र पाण्डेय है जो गंगा कनोडिया इंटर कालेज कप्तानगंज मे सहायक अध्यापक है। हालाकि देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है उन्हे बिना बताये दुसरे की डिग्री जांच कराकर गलत ढंग से उनके खिलाफ कार्रवाई की गयी थी। न्यायालय ने निदेशक के आदेश को निरस्त कर दिया। न्यायालय के आदेश की कापी पत्रकार को उपलब्ध कराये जाने की बात पर देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि जो भी जानकारी लेनी है डीआईओएस दफ्तर से प्राप्त कर ले। इधर खबर को संज्ञान मे लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक श्रवण कुमार गुप्त ने शिक्षक देवेन्द्र को साक्ष्य के साथ अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजा तो विद्यालय में हडकप मच गया। सूत्र बताते है कि देवेन्द्र पाण्डेय द्वारा संतुष्टपूर्ण तथ्य व साक्ष्य प्रस्तुत नही किये जाने के कारण दोबार सुनवाई का तिथि मुकर्रर किया परन्तु किसी कारणवश सुनवाई नही हो सकी।डीआईओएस जल्द ही देवेन्द्र पाण्डेय को अपना पक्ष रखने के लिए पुनःनोटिस भेजने वाले है।यहा बताना जरूरी है कि देवेन्द्र पाण्डेय का बीएड का डिग्री उस विश्व विद्यालय से जिसे यूजीसी ने फर्जी घोषित किया है, इस विश्व विद्यालय की न तो यूजीसी मे रजिस्ट्रेशन है और न ही शासन से मान्यता प्राप्त।
मुख्यमंत्री को भेजा है पत्र
भ्रष्टाचार अन्वेषण एंव मानवाधिकार उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व एसटीएफ मुख्यालय लखनऊ को पत्र भेजकर गंगा कनोडिया इंटर कालेज के सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय की बीएड की फर्जी डिग्री, व इनके खिलाफ निदेशक माध्यमिक शिक्षा द्वारा किये सेवा समाप्ति के अलावा जुलाई 2012 से मार्च 2014 तक बिना अध्यापन कार्य किये बगैर सरकारी खजाने से लाखो लाख रुपये डकारने वाले शिक्षको की निष्पक्ष जांचकर कार्रवाई करने की मांग की है।