

प्रधानाचार्य ने ठेकेदार को किराये पर दिया विद्यालय का खेल मैदान, ठेकेदार का है यह दावा
डीआईओएस ने प्रबंधक और प्रधानाचार्य को भेजा नोटिस
कुशीनगर। जनपद के कप्तानगंज स्थित कनोडिया इंटरमीडिएट कालेज के खेल मैदान पर रेलवे ठेकेदार द्वारा कब्जा करने के मामले मे विद्यालय के प्रबंधक व प्रधानाचार्य के तरफ से कोई कार्रवाई नही किये जाने के कारण ठेकेदार ने खेल मैदान में स्थाई रुप से कटरैन डालकर शिक्षा विभाग व विद्यालय प्रबंधन को चुनौती दे दिया है। हालाकि ठेकेदार का दावे पर अभी भी सवाल बना हुआ है कि विद्यालय के प्रधानाचार्य जितेन्द्र तिवारी ने किस अधिकार व किसके अनुमति से विद्यालय के खेल मैदान को किराये पर दे दिया है?

काबिलेगौर है कि विद्यालय का खेल मैदान छात्रों के शारीरिक,मानसिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह छात्रों को स्वस्थ रहने, टीम वर्क सीखने, और जीवन कौशल विकसित करने में मदद करता है। जानकार बताते है कि विद्यालय का खेल मैदान छात्रों के शारीरिक विकास को बढ़ावा देता जो उन्हें स्वस्थ और फिट रहने में मदद करता है। छात्र के पढाई के दौरान खेल के मैदान में खेलना तनाव और चिंता को कम करने में सहयोगात्मक भूमिका निभाती है। यह छात्रों के मूड को बेहतर बनाते हुए आत्मविश्वास को बढ़ाता है। जानकारों का यह भी कहना है कि विद्यालय का खेल मैदान छात्रों को सामाजिक मानदंडों को समझने और अपने सामाजिक कौशल विकसित करने में मदद करता हैं। खेल मैदान में छात्रों को टीम वर्क, सहयोग और संघर्ष समाधान जैसे महत्वपूर्ण कौशल सीखने को मिलते हैं। यही वजह है कि विद्यालय खोलने के दरम्यान खेल मैदान के लिए निर्धारित भूमि का कोरम पूरा करना अनिवार्य होता है। नतीजतन खेल मैदान पर किसी तरह का अतिक्रमण व कब्जा या फिर खेल मैदान को किराये पर देना पुरी तरह से नियम विरुद्ध है। ऐसे मे सवाल यह उठता है कि प्रबंधक अथवा प्रधानाचार्य विद्यालय के खेल मैदान को किराये कैसे दे सकते है? जिस तरह से ठेकेदार द्वारा साक्ष्य के साथ दावा किया जा रहा है कि वह विद्यालय के प्रधानाचार्य जितेन्द्र तिवारी से प्रति माह दस हजार रुपये तय कर यह खेल मैदान किराये पर लिया गया है। ठेकेदार ने साक्ष्य के तौर पर पहली बार दस हजार रुपये व दुसरी बार पांच हजार रुपये ऋषिकेश कुमार दूबे के खाते ट्रांसफर करने दावा भी किया जा रहा है जो प्रधानाचार्य के कहने पर ठेकेदार ने ऋषिकेश के खाते मे पैसा ट्रांसफर किया है।ठेकेदार के उस दावे पर महत्वपूर्ण सवाल यह है कि विद्यालय के प्रधानाचार्य जितेन्द्र तिवारी ने किस अधिकार व किसके निर्देश पर विद्यालय का खेल मैदान रेलवे ठेकेदार को किराये पर दे दिया है, अगर प्रधानाचार्य ने ठेकेदार से पैसा लेकर खेल मैदान किराये पर नही दिया है तो फिर प्रधानाचार्य जितेन्द्र तिवारी ने अब तक ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यो नही कराया? प्रधानाचार्य ने अपने विद्यालय के प्रबंधक,विभागके मुखिया और जिलाधिकारी को इस मामले की सूचना क्यो नही दी? सूत्रो का कहना है कि ठेकेदार व प्रधानाचार्य के मिलीभगत है का नतीजा है खेल मैदान पर अवैध निर्माण।

डीआईओएस ने लिया संज्ञान,किया नोटिस
कहना ना होगा कि ”विलेज फास्ट टाइम्स” सहित लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्रों द्वारा इस मामले को प्रमुखता उठाये जाने के बाद डीआईओएस श्रवण कुमार गुप्त ने खबर को संज्ञान मे लेते हुए जनपद के कप्तानगंज स्थित गंगा कनोडिया इंटरमीडिएट कालेज के प्रबंधक व प्रधानाचार्य को नोटिस भेजा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रबंधक व प्रधानाचार्य क्या गुल खिलाते है।
