
जंगल घोरठ में पार्क निर्माण में भारी घोटाला: बाउंड्रीवाल के अलावा कुछ नहीं, लाखों की धनराशि गमन का आरोप
रिपोर्ट: विलेज फास्ट टाइम्स
स्थान: जंगल घोरठ, विकास खंड – दुदही, जनपद कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
कुशीनगर जनपद के अंतर्गत विकास खंड दुदही क्षेत्र की ग्राम सभा जंगल घोरठ में एक बड़े वित्तीय घोटाले का मामला सामने आया है। यहां गांव के सौंदर्यीकरण और सार्वजनिक उपयोग के लिए पार्क निर्माण के नाम पर लाखों रुपए की सरकारी धनराशि का आवंटन तो हुआ, लेकिन मौके पर कार्य आधा-अधूरा छोड़ दिया गया। ग्रामीणों ने सीधे तौर पर ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने आपसी मिलीभगत से इस धनराशि का गमन किया है।
सरकारी धन तो आया, लेकिन मैदान में केवल दीवार
जानकारी के अनुसार, एक वर्ष पूर्व ग्राम सभा जंगल घोरठ को ग्राम पंचायत योजना के अंतर्गत सौंदर्यीकरण व पार्क निर्माण के लिए लाखों रुपये की धनराशि आवंटित की गई थी। योजना के अनुसार, बच्चों के खेलने के उपकरण, वृद्धों के लिए बैठने की व्यवस्था, हरियाली, पेवर ब्लॉक, प्रकाश व्यवस्था और एक स्वच्छ मनोरम वातावरण तैयार करना था। लेकिन मौके पर जब हमारे पत्रकार के साथ गांव के लोगों ने निरीक्षण किया, तो केवल चारदीवारी खड़ी की गई थी, वह भी अधूरी हालत में।
अंदर बिखरा पड़ा है कचरा, झाड़-झंखाड़ और मवेशियों का अड्डा बना पार्क
ग्रामीणों ने जब पार्क क्षेत्र का मुआयना किया, तो वहां की स्थिति देखकर हैरान रह गए। पार्क के भीतर हर ओर झाड़-झंखाड़ उगे हुए हैं, कचरे का ढेर लगा है, कहीं कोई बैठने की व्यवस्था नहीं है और न ही बच्चों के खेलने की कोई व्यवस्था की गई है। यहां तक कि जगह-जगह जानवरों का गोबर और मूत्र पड़ा हुआ है, जिससे पार्क का पूरा क्षेत्र दुर्गंध और गंदगी से भरा रहता है।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, जांच और कार्रवाई की मांग
गांव के बबूंदार गुप्ता, दिनानंद गुप्ता, हरेश गोंड, विपत प्रसाद, दीपक, नरेश कुशवाहा, मुनीर गुप्ता, रविन्द्र गुप्ता, मुकेश गुप्ता, राज गुप्ता सहित दर्जनों ग्रामीणों ने खुलकर ग्राम प्रधान और सचिव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि—
> “हमारे गांव के नाम पर विकास के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति हो रही है। लाखों रुपये खर्च दिखाए गए, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं है। यह धन जनता का है, इसकी बंदरबांट नहीं होनी चाहिए। हम जिला प्रशासन से मांग करते हैं कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।”
RTI से भी मांगी जाएगी जानकारी
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि प्रशासन स्तर से कोई पहल नहीं की जाती है, तो वे जल्द ही इस निर्माण कार्य की विस्तृत जानकारी सूचना के अधिकार (RTI) के माध्यम से मांगेंगे, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आखिर कितनी धनराशि आई, किस मद में खर्च की गई और किसके द्वारा बिल-वाउचर तैयार किए गए।
क्या कहते हैं स्थानीय जिम्मेदार अधिकारी?
इस संबंध में ग्राम प्रधान और सचिव से संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। वहीं ब्लॉक कार्यालय से जुड़े एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि—
> “यदि ग्रामीणों की शिकायत गंभीर है, तो यह मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया जाएगा और जांच कराई जा सकती है।”
कागजों पर विकास, जमीन पर धूल
गांवों के विकास के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं, लेकिन भ्रष्ट तंत्र और निगरानी की कमी के चलते अक्सर ये योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं। जंगल घोरठ का यह मामला भी इसी की एक बानगी है, जहाँ जनता की आंखों के सामने उनके अधिकारों की लूट हो रही है।
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए जांच कर कार्रवाई करता है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।









