

मुख्यमंत्री कार्यालय, उत्तर प्रदेश ने जनता दर्शन में प्राप्त होने वाले प्रार्थना पत्रों के निस्तारण को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। यह आदेश इस उद्देश्य से जारी किया गया है कि जनसामान्य द्वारा मुख्यमंत्री जी के समक्ष प्रस्तुत की जाने वाली समस्याओं का प्रभावी और संतुलित समाधान सुनिश्चित हो सके।
मुख्यमंत्री जी को लगातार यह देखने को मिला है कि जनता दर्शन में प्राप्त प्रार्थना पत्रों को संबंधित अधिकारियों द्वारा केवल लेखपाल स्तर से ही निस्तारित कर अस्वीकृत कर दिया जाता है, जिससे प्रार्थियों को उनकी समस्याओं का न्यायसंगत समाधान नहीं मिल पाता। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह निर्णय लिया है कि अब ऐसे सभी प्रकरणों की जांच तहसीलदार या समकक्ष स्तर के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जाएगी।
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि तहसीलदार या वरिष्ठ अधिकारी को स्थल निरीक्षण करते हुए, संबंधित शिक्षक या शिकायतकर्ता के कथनों का संतुलित रूप से विश्लेषण कर विवेकपूर्ण निर्णय लेना होगा। इसके बाद उपजिलाधिकारी अपने स्तर से समाधान प्रस्तुत करें और जिला अधिकारी सुनिश्चित करें कि निस्तारण प्रभावी और निष्पक्ष हो।
मुख्य सचिव स्तर से जारी इस निर्देश में यह भी कहा गया है कि केवल एकपक्षीय रिपोर्ट के आधार पर प्रार्थना पत्र को अस्वीकृत करना अब पर्याप्त नहीं होगा। दोनों पक्षों को उचित अवसर और सुनवाई प्रदान कर ही अंतिम निर्णय लिया जाए।
यह आदेश समस्त मंडलायुक्तों और समस्त जिलाधिकारियों को संबोधित करते हुए जारी किया गया है, और 1 जुलाई 2025 से लागू कर दिया गया है।
इस आदेश से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश सरकार जनता की शिकायतों के त्वरित और निष्पक्ष समाधान के प्रति गंभीर है। यह कदम प्रशासन की जवाबदेही को और मजबूत करेगा तथा आम जनता को बेहतर न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ाएगा।