कुशीनगर जनपद के तमकुहीराज तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत चौबेया पठखौली में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां गांव के कुछ प्रभावशाली एवं दबंग व्यक्तियों द्वारा प्राथमिक विद्यालय की जमीन पर अवैध कब्जा कर निर्माण कार्य कराया जा रहा है। यह मामला न केवल सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण का है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर भी गहरे सवाल खड़े करता है।
जानकारी के अनुसार, चौबेया पठखौली गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय की जमीन खतौनी में विधिवत रूप से विद्यालय के नाम दर्ज है। यह जमीन सरकारी स्वामित्व की है, जिसका उपयोग विद्यालय के विकास कार्यों, बच्चों के खेल-कूद, भवन विस्तार और अन्य शैक्षिक गतिविधियों के लिए किया जाना था। लेकिन गांव के ही कुछ दबंगों ने इस जमीन पर अपनी नजरें गड़ा दीं और धीरे-धीरे कब्जा करना शुरू कर दिया।
ग्राम प्रधान ने उठाई आवाज
ग्राम पंचायत के प्रधान ने इस अवैध अतिक्रमण के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उपजिलाधिकारी (एसडीएम) तमकुहीराज को एक लिखित शिकायती पत्र सौंपा है। अपने पत्र में प्रधान ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि विद्यालय की जमीन पर कब्जा न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यह शिक्षा के अधिकार और ग्राम समाज के हितों के भी खिलाफ है। उन्होंने एसडीएम से मांग की है कि तत्काल जांच कराकर अवैध कब्जा हटवाया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
राजस्व विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल
इस पूरे मामले में सबसे अधिक हैरानी की बात यह है कि स्थानीय राजस्व निरीक्षक और कानूनगो ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें कई बार इस विषय में अवगत कराया गया, लेकिन अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। इससे यह संदेह उत्पन्न हो रहा है कि कहीं यह मिलीभगत का मामला तो नहीं। ग्रामीणों ने राजस्व विभाग की निष्क्रियता पर नाराज़गी व्यक्त की है और सवाल उठाए हैं कि जब जमीन सरकारी है, खतौनी में दर्ज है और अतिक्रमण स्पष्ट है, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?
दबंगों का रसूख बना रहा बाधा
गांव के लोगों का आरोप है कि अतिक्रमण करने वाले व्यक्ति प्रभावशाली हैं और राजनीतिक पहुंच के चलते वे प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। यही कारण है कि अब तक उनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया गया है। दबंग खुलेआम निर्माण कार्य कर रहे हैं, और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।
ग्रामीणों में गहरा आक्रोश
इस घटना से गांव के आम नागरिकों, अभिभावकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भारी नाराज़गी है। उनका कहना है कि यदि स्कूल की जमीन पर ही कब्जा हो जाएगा तो बच्चों की पढ़ाई और भविष्य का क्या होगा? पहले ही गांवों में शिक्षा व्यवस्था कमजोर है, और ऊपर से इस तरह की घटनाएं शिक्षा के बुनियादी ढांचे को और नुकसान पहुँचा रही हैं।
संभावित आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीणों और अभिभावकों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में शीघ्र ही कठोर कदम नहीं उठाया गया और विद्यालय की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया गया, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। गांव में पंचायत बैठकों और जनसमूहों में इस विषय को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी निगाहें
अब सबकी नजरें प्रशासन की ओर हैं कि वह इस संवेदनशील मुद्दे पर कब और क्या कदम उठाता है। क्या दबंगों के रसूख के आगे कानून हार जाएगा या एक मजबूत प्रशासनिक निर्णय लेकर विद्यालय की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कर भविष्य की पीढ़ियों के लिए शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा?
यह मामला न केवल चौबेया पठखौली ग्राम पंचायत की शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा है, बल्कि यह दर्शाता है कि किस तरह से कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए सार्वजनिक संसाधनों पर कब्जा करने से भी नहीं चूकते। जरूरत है प्रशासनिक सजगता, पारदर्शिता और सख्ती की, जिससे ऐसे मामलों पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सके।