पड़रौना नगर पालिका में बड़ा भ्रष्टाचार उजागर: अधिशासी अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही की तैयारी, मंत्री ने दिए सख्त निर्देश

कुशीनगर/लखनऊ।त्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले की पड़रौना नगर पालिका परिषद में एक बड़ा प्रशासनिक भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। मामले में नगर विकास, शहरी समग्र विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन, ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के मंत्री श्री ए. के. शर्मा ने अधिशासी अधिकारी (ईओ) के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं। यह मामला नगर पालिका परिषद में आउटसोर्सिंग के माध्यम से किए गए कार्यों में नियमों की अवहेलना और भ्रष्टाचार से जुड़ा है।

यह पूरा प्रकरण तब सामने आया जब 5 मार्च 2025 को अधिशासी अधिकारी द्वारा आउटसोर्सिंग कंपनी के साथ मिलकर नियम-301 के अंतर्गत नियमों को तोड़ते हुए कार्य कराने की शिकायत प्राप्त हुई थी। शिकायत में स्पष्ट रूप से यह आरोप लगाया गया था कि नगर पालिका परिषद, पड़रौना में कार्यों का आवंटन बिना प्रक्रिया के और अनुचित तरीके से किया गया है, जिससे सरकार को आर्थिक क्षति पहुंची है।

शिकायत पर संज्ञान लेते हुए मंत्री ए. के. शर्मा ने त्वरित जांच के आदेश दिए। जिलाधिकारी कुशीनगर की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई, जिसमें जिला सेवायोजन अधिकारी, उपजिलाधिकारी कुशीनगर, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित थे। इस समिति ने 3 अप्रैल 2025 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें अधिशासी अधिकारी को दोषी पाया गया।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि संबंधित ईओ ने ठेकेदारी व्यवस्था के तहत कार्यों का आवंटन करते समय पारदर्शिता नहीं बरती, न ही टेंडर प्रक्रिया का पालन किया गया। इसके अतिरिक्त, आउटसोर्सिंग कंपनी के साथ मिलीभगत कर नियमों को ताक पर रखते हुए कार्यों को स्वीकृति दी गई, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ।

जांच रिपोर्ट के आधार पर अब अधिशासी अधिकारी पर विभागीय/अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। मंत्री द्वारा संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि रिपोर्ट में नामित अधिशासी अधिकारी की भूमिका की गहराई से समीक्षा कर विभागीय कार्यवाही आरंभ की जाए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में दोबारा न हों।

यह मामला सामने आने के बाद नगर पालिका परिषद, पड़रौना में हड़कंप मचा हुआ है। आम जनता और स्थानीय जनप्रतिनिधियों में भी इस विषय को लेकर गहरी नाराजगी देखी जा रही है। क्षेत्रीय विधायक श्री मनीष कुमार उर्फ मंटू ने भी मामले को गंभीरता से उठाया और मंत्री से न्यायपूर्ण कार्रवाई की मांग की थी, जिसके परिणामस्वरूप यह जांच आरंभ हुई थी।

सरकार की “भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन” नीति के तहत यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह संदेश स्पष्ट है कि सरकारी धन के दुरुपयोग और नियमों की अनदेखी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह कोई भी अधिकारी हो।

सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में इस मामले में और भी अधिकारियों की भूमिका की जांच हो सकती है, और यदि आवश्यक हुआ तो अन्य लोगों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

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