दुदही/तमकुहीराज
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के विशुनपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम सभा अमही में ताड़ी (एक प्रकार का देसी नशीला पेय) खुलेआम नशे के तौर पर बेचा जा रहा है। यह स्थिति न सिर्फ सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि सबसे चिंताजनक बात यह है कि इसके शिकार गांव के बच्चे और किशोर हो रहे हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, सुबह से लेकर शाम तक गांव के कई कोनों पर ताड़ी की बिक्री धड़ल्ले से होती है। पहले इसे परंपरागत पेय माना जाता था, लेकिन अब यह एक सुलभ नशे का माध्यम बन गया है। स्कूल जाने वाले बच्चे और किशोर इसे शौक या दबाव में आकर पीने लगे हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य बर्बादी की कगार पर पहुंच रहा है।
स्थानीय निवासी (नाम न छापने की शर्त पर) बताते हैं, “बच्चे स्कूल से लौटने के बाद या कभी-कभी स्कूल छोड़कर ही ताड़ी पीने पहुंच जाते हैं। कुछ तो 10-12 साल की उम्र में ही इसके आदी हो चुके हैं।”
हालांकि ताड़ी की बिक्री पर किसी प्रकार की सरकारी अनुमति नहीं है, फिर भी यह धड़ल्ले से बिक रही है। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि गांव में कोई नियंत्रण नहीं है और स्थानीय पुलिस या प्रशासन की भूमिका भी निष्क्रिय नजर आ रही है।
ग्रामवासियों ने इस नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए प्रशासन से ठोस कार्रवाई की मांग की है। कई लोगों ने सुझाव दिया है कि ग्राम सभा में प्रस्ताव पास कर इसे प्रतिबंधित किया जाए, और बाल संरक्षण आयोग को भी इसकी जानकारी दी जाए ताकि बच्चों को बचाया जा सके।
जनहित में सवाल:
क्यों चुप है प्रशासन?
क्या बच्चों की सेहत और भविष्य का कोई मोल नहीं?
नशामुक्त भारत के सपने की शुरुआत गांवों से क्यों नहीं?
यदि प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो यह स्थिति भविष्य में न सिर्फ गांव बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए सामाजिक और मानसिक संकट का रूप ले सकती है।