कुशीनगर, उत्तर प्रदेश।
कुशीनगर जनपद के तुर्कपट्टी थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बलडीहा की एक पीड़ित महिला किसान मनीषा देवी के साथ पुलिसिया तानाशाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। वर्षों से जमीन के लिए संघर्ष कर रही इस महिला को जहां सुरक्षा मिलनी चाहिए थी, वहीं पुलिस ने उल्टा उसे ही “शांति भंग” के आरोप में थाने में बंद कर चालान कर दिया।
इससे पहले मनीषा देवी ने अपने पट्टीदारों अनिरुद्ध, अनिल व विवेक पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया था कि वे न केवल उन्हें उनके हिस्से की जमीन से बेदखल करना चाहते हैं, बल्कि मारपीट, धमकी और फसल नष्ट करने तक का काम कर चुके हैं। इस संबंध में उन्होंने सैकड़ों बार थाने और जिला स्तर तक शिकायतें कीं, परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
बीते दिनों उन्होंने मीडिया के माध्यम से अपनी आपबीती उजागर की, जिससे मामला सुर्खियों में आया। लेकिन इस पूरे प्रकरण में शर्मनाक मोड़ तब आया जब तुर्कपट्टी पुलिस ने दबंगों पर कार्रवाई करने के बजाय पीड़िता को ही “शांति भंग” की धारा में चालान कर दिया।
“जिन्होंने हम पर हमला किया, खेत पर कब्जा किया, फसल नहीं काटने दी — वे खुलेआम घूम रहे हैं। और हम जो इंसाफ मांग रहे थे, हमें ही अपराधी बना दिया गया।”
– मनीषा देवी, पीड़िता
स्थानीय ग्रामीणों व सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह कार्यवाही न केवल निंदनीय है बल्कि पुलिस प्रशासन की निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवाल:
महिला की फसल को जबरन खेत में सड़ाया गया
पति पर हमला हुआ, फिर भी FIR दर्ज नहीं
लगातार धमकियां मिलने के बावजूद सुरक्षा नहीं
मीडिया में आवाज उठाने पर “शांति भंग” में चालान
जनपद स्तर पर कई सामाजिक संगठनों ने मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषी अधिकारियों व आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं पीड़िता ने मुख्यमंत्री पोर्टल से लेकर महिला आयोग तक न्याय की गुहार लगाई है।
अब बड़ा सवाल यह है कि जब एक महिला किसान को न्याय की बजाय सजा मिलेगी, तो आम जनता किससे उम्मीद करे?