वर्षो से कुण्डली जमाये बैठे है प्रभारी चिकित्साधिकारी डाॅ. एसके विश्वकर्मा
कथित ड्राइवर व स्थानीय लोगो मे चर्चिच दलाल के रुप मे मशहूर करन रहता है ओपीडी मे डाॅ. विश्वकर्मा के साथ
कुशीनगर। जनपद के रामकोला स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दलालो के गिरफ्त में होने के पीछे एक बडी वजह बतायी जा रही है। सबब है वर्षो से कुण्डली जमाये बैठे यहां के प्रभारी निरीक्षक डाॅ. एसके विश्वकर्मा। ऐसी चर्चा है कि इनके संरक्षण में फलफूल रहे दलाल करन यादव जो कहने के लिए तो साहब का ड्राइवर है लेकिन वह चालक कम, बल्कि यहां के एमवाईसी के लिए नोट कमाने वाला एटीएम है। यही वजह है कि करन के मर्जी के बिना सीएचसी पर न तो कोई पत्ता हिलता है और न ही सीएचसी प्रभारी डाॅ विश्वकर्मा, करन के इच्छा के विपरीत जाकर कोई कार्य करते है। इन चर्चाओं मे कितनी सच्चाई है निसंदेह यह निष्पक्ष जांच के बाद ही दूध और पानी के सही मिश्रण का खुलासा होगा।
काबिलेगौर है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामकोला के अधीक्षक डाॅ. एसके विश्वकर्मा तकरीबन एक दशक से रामकोला सीएचसी पर कुण्डली जमाये बैठे है। इस सीएचसी से इन्हे क्या लगाव है यह तो सिर्फ और सिर्फ डाॅ. विश्वकर्मा ही बता सकते है लेकिन इस सीएचसी से इनका मोह भंग न होने के पीछे इनके द्वारा बाहर के लिखी गयी दवाओ और जांच से प्रति माह प्राप्त होने वाले लाखो रुपये, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिवो मे मोटी कमीशन और अवैध हास्पिटलो व डायग्नोस्टिक सेंटरो से होने वाली मोटी कमाई बतायी जा रही ऐसा जानकारों का कहना है। यहा के स्थानीय लोगो का दावा है कि डाॅ. विश्वकर्मा का यहां से बोरिया-बिस्तर बंधने का मतलब उनका गुजारा सिर्फ वेतन भत्ता पर निर्भर हो जायेगा जबकि इनके ड्राइवर का सितारा गर्दिश मे चला जायेगा या फिर यू कहे करन एक तरह से बेरोजगार हो जायेगा।
वर्षो से सीएचसी पर कुण्डली जमाने के पीछे बडा खेल
जानकारों व विभागीय सूत्रो की माने तो जिले के सीएचसी व पीएचसी पर प्रभारी निरीक्षक व चिकित्सको का वर्षो से कुण्डली जमाकर बैठने के पीछे सीएमओ कार्यालय का बडा खेल है और यह खेल है प्रति माह मोटी बक्शीश लेने की। यही वजह है कि शासनादेश को ताक पर रखकर एक ही स्थान पर पर वर्षो से अंगद के पाव की तरह जमे निरीक्षक व चिकित्सको के प्रति बेपरवाह होकर विभाग-ए-हुक्मरान धृतराष्ट्र बने बैठे है।
पैसा मागने का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराने की धमकी
स्थानीय सूत्र बताते है कि युगान्धर टाइम्स व लखनऊ से प्रकाशित अन्य समाचार पत्रों द्वारा बीते दिनो रामकोला सीएचसी से संबंधित खबर ” कौन है करन यादव रामकोला सीएचसी पर नही हिलता करन के मर्जी के बिना एक भी पत्ता ” शीर्षक से प्रकाशित किया गया तो सीएचसी प्रभारी, अपने सीएचसी से दलालो को खदेडने और अपनी कमियाँ को दुरुस्त करने के बजाये रिपोर्टर पर पैसा मागने का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराने की धमकी देने लगे। यह बात दीगर है कि उनके आरोपों का कोई साक्ष्य नही होने के कारण रिपोर्टर पर उनके धमकी का कोई असर नही पडा।
72 पत्रकारों को विज्ञापन देने का गुमान
कहना ना होगा कि पहली खबर छपने के बाद सीएचसी को अपने इशारों पर नचाने वाला प्रभारी निरीक्षक डाॅ विश्वकर्मा का कथित ड्राइबर व स्थानीय स्तर पर दलाल के नाम से चर्चित करन यादव युगान्धर टाइम्स के दफ्तर पर आया जहां उसने पहले प्रकाशित खबरो को गलत व निराधार बताते हुए भौकाल टाइट करने का प्रयास किया लेकिन जब दाल नही गली तो कहा कि जिले के सभी पत्रकार उसके परिचित है वह होली, दीपावली व राष्ट्रीय पर्वो पर 72 पत्रकारों को सीएचसी से विज्ञापन देता है। इसका सारा इंतजाम वह खुद करता है। आपको भी समय समय पर विज्ञापन मिलता रहेगा।
करन खुद बनता है डाक्टर
सूत्र बताते है कि प्रभारी निरीक्षक के कथित ड्राइवर व स्थानीय लोगो में सीएचसी का बतौर दलाल मशहूर करन यादव जरूरत पडने पर खुद को डाक्टर बनकर मेडिकल स्टोर, जांच सेन्टर व अवैध हास्पिटलों से डिलिंग करता है। यही वजह है कि वह मोबाइल के टू-कार्लर पर खुद का नाम डाॅ. करन यादव लिखा है। इस संबध में जब करन से पूछा गया तो उसने बडी ही निर्लज्जता से कहा कि किसी ने लिख दिया होगा। अब सवाल यह उठता है कि कैसे कोई किसी का मोबाइल लेकर टू-कार्लर पर कुछ भी लिख देगा और सामने वाले को इसकी जानकारी नही होगी। करन के इस बात में कितनी सच्चाई है यह कहना बडी मुश्किल है लेकिन करन की निर्लज्जता भरी यह जबाब गले नही उतर रहा है। करन से पूछने पर कि वह डाॅ. विश्वकर्मा के ओटीपी कक्ष में क्या करता है इस पर करन ने तपाक से कहा कि डाॅक्टर साहब उसे वहा बैठने के लिए कहे है।
शासनादेश की उडाई जा रही धज्जियाँ
नौकरी नियमावली व शासनादेश के मुताबिक कोई भी अधिकारी तीन वर्षों तक एक ही कार्यालय व स्थान पर डियूटी कर सकता है। तीन वर्ष का समय पूर्ण होने के बाद उस अधिकारी को स्थानांतरण नीति के आधार पर स्थान पर स्थानांतरण किया जाता है । ऐसे मे कहना मुनासिब होगा कि विभाग-के-जिम्मेदार जिले मे खुलेआम स्थानांतरण नीति की धज्जियां उड़ा रहे है। यही वजह है कि डाॅ विश्वकर्मा सहित तमाम प्रभारी चिकित्साधिकारी व चिकित्सक एक स्थान पर बैठकर भ्रष्टाचार को बढावा और दलालो का मनोबल बढा रहे है।