फसल सुरक्षा-गेहूँ आलू एवं तिलहनी फसलों में बचाव हेतु उपाय

फसलों में लगने वाले कीट/ रोग से बचाव हेतु वाट्स एप के माध्यम लें जानकारी

कुशीनगर

 

जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा० मेनका  ने किसान भाइयों को अवगत कराया है कि जनपद में तापमान एवं आर्द्रता में उतार-चढ़ाव के कारण रबी की फसलों मेंकीट/रोग के प्रकोप की सम्भावना बढ़ गयी है। ऐसी दशा में आलू में पछेती झुलसा, तिलहनी फसलों में माहू एवं पाला से फसलों के प्रभावित होने की सम्भावना है। उन्होंने फसलों में लगने वाले मुख्य कीट/रोगों का निदान के संबंध में बताया कि – गेहूँ में पीली गेरूई के नियंत्रण हेतु प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई०सी० 200 मिली प्रति०एकड़ की दर से लगभग 300 ली० पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए।  गेहूँ के पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण हेतु थायोफीनेट मिथाइल 70 प्रति० डब्लू०पी० 280-300 ग्राम अथवा मेन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू० पी० 600-800 ग्राम प्रति० एकड की दर से 300-400 ली० पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिए।-आलू में पछेती झुलसा के प्रकोप से बचाव हेतु तत्काल सिंचाई बंद कर देनी चाहिए तथा मैकोजेब 75 प्रति० डब्लू०पी० 600 से 800 ग्राम अथवा कापरआक्सीक्लोराइड 50 प्रति० 300 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से 300 लीटर पानी में घोलकर सुरक्षात्मक छिड़काव करें। तिलहनी फसलों में मांहूँ के प्रकोप की दशा में एजाडीरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रति० ई०सी० 2-5 मिली० प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें । रासायनिक नियंत्रण हेतु डाइमेथोएट 30 प्रति० ई०सी० 265 नि०ली० प्रति एकड की दर से 200-400 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। -जिन क्षेत्रों में तापमान में भारी गिरावट हो रही है वहां पाले से बचाव हेतु खेत में हल्की सिंचाई करें, खेतों के चारों और धुंआ कर एवं नर्सरी के पौधों के बचाव हेतु पालीथीन या पुवाल से ढककर रखें। फसलों में लगने वाले कीट/रोग एवं खरपतवार की समस्या के निवारण हेतु किसान साथी वाट्सएप न० 9452247111 अथवा 9452257111 पर प्रभावित पौधों की फोटो सहित अपनी समस्या और पूरा पता लिखकर प्रेषित करें। समस्या का निराकरण 48 घंटे में किसान के मोबाइल पर कर दिया जायेगा।

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